Karwa-Chauth-2019: Know why the moon is seen with a sieve

Karwa-Chauth-2019: Know why the moon is seen with a sieve

Karwa-Chauth-2019: Know why the moon is seen with a sieve

Karwa Chauth 2019: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 17 अक्टूबर गुरुवार को करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी और चांद का दीदार करने के बाद ही अपना व्रत तोडेंगी। 


इस दिन महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद की पूजा भी करती है । क्या आप जानते है कि करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा क्यों करती हैं। आइए जानते है करवा चौथ के व्रत में चांद की पूजा क्यों होती है। 


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धार्मिक आधार 
धार्मिक आधार पर देखें तो कहा जाता है कि चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप है। एक मान्यता यह भी है कि चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है और चांद की पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है। साथ ही चद्रंमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी होता है, यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। 

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पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था पर अत्यधिक भूख की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी थी, जिसे देखकर साहूकार के बेटों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा लेकिन साहूकार की बेटी ने खाना खाने से मना कर दिया। 

भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है। 


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बहन ने  भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गई और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी। तब से अपने हाथ में छलनी लेकर बिना छल-कपट के चांद को देखने के बाद पति के दीदार की परंपरा शुरू हुई ।